दाद
दाद या दद्रु कुछ विशेष जाति का फफूँदो के कारण उत्पन्न त्वचाप्रदाह है। ये फफूंदें माइक्रोस्पोरोन (Microsporon), ट्राकॉफाइटॉन (Trichophyton), एपिडर्मोफाइटॉन (Epidermophyton) या टीनिया जाति की होती है। दद्रु रोग कई रूपों में शरीर के अंगों पर आक्रमण करता है। खोपड़ी का दद्रु फफूंद द्वारा केश की जड़ में आक्रमण के कारण होता है। यह बालों और नववयस्कों में अधिक होता है। खोपड़ी पर गोल चकत्तियों में गंगाजल हो जाता है। केश जड़ के पास से टूट जाते हैं। सूक्ष्मदर्शी से देखने पर केश के चारों ओर फफूंद जीवाणु का जाला सा दिखाई पड़ता है। इसकी चिकित्सा कठिन है। एक्स-किरणों से चिकित्सा की जाती है।
दूसरे प्रकार का दद्रु दाढ़ी की दाद है (टीनिया बार्बी)। यह भी कठिनाई से जाता है। एक और प्रकार का दद्रु नाखून में होता है। त्वचा का दद्रु दाद या खाज नाम से प्रसिद्ध है। इसमें छोटे छोटे दानों का वृत्त प्रकट होता है, जिसके सूखने पर और बड़े वृत्त में दाने निकलते हैं। दानों में बड़ी खुजली और जलन होती है। बहुधा खुजलाने से घाव हो जाते हैं, जिनमें मवाद पड़ जाता है। दाद की चिकित्सा के लिए अनेक औषधियाँ प्राप्य हैं और नई औषधियों में लगाने और खाने की फफूंद नाशक दवाएँ भी अब प्राप्य हैं।
कारण (Causes)
- किसी संक्रमित व्यक्ति, जीव, पानी, भोजनया फिर वस्तु से,
- गर्म या फिर आर्द्र (Humid) जलवायु में रहने से,
- तंग (Tight) कपड़े के कारण होने वाले पसीने से,
- शरीर की इम्यून प्रणाली(Immune System) के कमज़ोर होने से ( जैसे की – एचआईवी / एड्स, कैंसर, मधुमेह या दवाईयों का सेवन)।
लक्षण (Symptoms)
- लाल या गुलाबी रंग काखुजलीदार, चकतीदार उठा हुआ परत का दिखाना,
- खुजली के साथलगभग गोलाकार छोटी छोटी फुंसियों का होना,
- त्वचा पर छाला जैसापरत बनाना और फिर घाव बनकर पारदर्शी द्रव का रिसना (ज़्यादातर खुजाने से)
- अँगूठीनुमा उठा हुआ परत जो किनारे में लाल या गुलाबी रंग का हो।